Chandigarh Municipal Corporation: Controversy over the post of Mayor!

चंडीगढ़ नगर निगम: मेयर पद को लेकर माथापच्ची!

MC-Chaunav

Chandigarh Municipal Corporation: Controversy over the post of Mayor!

भाजपा व आप के पार्षदों की संख्या बराबरी पर, जादुई आंकड़े से दोनों दूर

आप-कांग्रेस के गठजोड़ की प्रबल संभावना

अर्थ प्रकाश/वीरेंद्र सिंह

चंडीगढ। नगर निगम के चंडीगढ़ में चुनावों के सम्पन्न होने के बाद अब सभी दलों की नजरें निगम की नंबर एक सीट मेयर पद पर लगी हैं। विगत 27 दिसंबर को मतगणना के बाद मिले मताधिकार के अनुसार किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। सर्वाधिक 14 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी  भी जादुई आंकड़े को नहीं प्राप्त कर सकी है। इसी  प्रकार भाजपा को भी केवल १२ पार्षदों पर ही संतोष करना 12 पार्षदों पर ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस तमाम दावों के बावजूद केवल 8 सीटें ही लेने में कामयाब रही है। 
 

 हालांकि बबला ने विगत पहली जनवरी को शपथग्रहण के बाद ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला के साथ अभद्र  भाषा का इस्तेमाल कर उनका विरोध किया। इसका तात्पर्य साफ था कि इस पूरी कहानी की पटकथा चुनावी नतीजों के साथ ही लिखी जा चुकी थी। 
 

 बबला को इस बात का भान था कि मौजूदा वर्ष में जनरल महिला के लिए आरक्षित श्रेणी का ही मेयर बनेगा। चूंकि हरप्रीत बबला पत्नी दविंदर बबला को इस चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीत मिली है। इसी को इनकैश करने के लिए बबला ने पहले ही अपना पत्ता फेंक कर भाजपा को अहसास करा दिया था कि यदि उनकी पत्नी को मेयर पद के लिए प्रत्याशी बनाया जाता है तो वह पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। भाजपा को भी उनकी नीति या सौदा ठीक लगा। क्योंकि मेयर तो भाजपा का ही माना जायेगा। इसके अलावा सांसद की वोट को मिलाकर कुल १४ वोटें भाजपा के पक्ष में हो जायेंगी।
 

 जाहिर है कि बबला ने पत्नी को मेयर बनाकर अपने आप को मेयर का कार्यभार चलाने की योजना बना रखी थी। ङ्क्षकतु उनकी योजना के अनुरूप कांग्रेस का कोई अन्य पार्षद भाजपा के खेमे में नहीं गया। इससे बबला की किरकिरी हो गई। गाड़ी अब तक वहीं की वहीं रूकी पड़ी है। 
 

दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के सर्वेसर्वा और अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने एक खुला पत्र मीडिया में देकर कांग्रेस से अपील की है कि आम आदमी पार्टी का मयेर बनाने के लिए वह आप को समर्थन दे। चूंकि आप के १४ पार्षद और कांग्रेस के शेष बचे ७ पार्षदों को एक साथ मिला लिया जाये तो २१ के बहुत के आंकड़े के साथ दोनों की मिली जुली निगम सरकार बन सकती है। 

आप का दिल्ली दर्शन : उधर आम आदमी पार्टी के सभी पार्षद दिल्ली दर्शन के लिए पहुंचे हैं। वहां से पार्टी सुप्रीमो केजरीवाल उन्हें क्या पाठ पढ़ाते हैं, यह देखने वाली बात होगी।  फिलहाल अभी सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि शहर के डीसी अभी मेयर चुनावों को निष्पक्ष कराने के लिए एक मनोनीत पार्षद को प्रीजाइडिंग आफिसर नियुक्त करेंगे। वहीं चुनावी कार्यक्रम की शेड्यूल जारी करेगा, जिसमें नामांकन भरने की अंतिम तिथि, स्कू्रटनी और बाद में नाम वापसी के बाद आवश्यक होने पर मेयर का चुनावी कार्यक्रम तय करेगा। 

अन्य पार्षदों को नहीं ला सके बबला

सूत्रों की मानें तो बबला को अपने अलावा कांग्रेस के तीन और पार्षदों को भाजपा में लाने की ड्यूटी लगायी गयी थी। किंतु विगत शनिवार को नगर निगम में पार्षदों के शपथ ग्रहण समारोह में हुए ड्रामे के तुरंत बाद ही चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला ने चंडीगढ़ कांग्रेस के प्रभारी एवं राष्ट्रीय नेता हरीश चौधरी को बबला के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए पत्र लिखकर उन्हें निष्कासित करने को कहा था। हरीश चौधरी ने इसमें बिना किसी विलंब के बबला को आगामी ६ वर्षों के लिए कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। इसकी एक प्रति पार्टी अध्यक्ष सुभाष चावला को और एक प्रति बबला को पे्रषित कर दी। इसके बाद यह पत्र वायरल हो गया। जिसके चलते भाजपा अध्यक्ष अरूण सूद ने मीडिया के समक्ष बयान देकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि बबला को भाजपा ने बुलाया, बल्कि उन्होंने स्वयं अपनी इच्छा से भाजपा में शामिल होने के लिए प्रार्थना की थी। 

मेयर को लेकर खींचतान

आप बहुसंख्या के आधार पर अपना मेयर बनाना चाहेंगी। किंतु कांग्रेस के समर्थन के बगैर वह कुछ भी करने में असमर्थ हैं। इस पद के लिए कांगे्र का पलड़ा भारी है। कांग्र्रेस के साथ गठजोड़ के लिए आप को सौदा करना पड़ेा। इसमें कांग्रेस निगम की नंबर एक सीट मेयर पर अपना सौदा करना चाहेगी। शेष दो पद यानि सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर के पद को आप को देने का सौदा हो सकता है। 


सौदेबाजी के कई बिंदु

यदि ऐसा होता है तो अगले साल के मेयर का पद 'आपÓ को देने का आफर किया जा सकता है। यदि दोनों दलों में इस बात पर सहमति हो जाये तो भाजपा का बना बनाया खेला बिगड़ सकता है। उसके बाद बबला की स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा सहजता के साथ लगाया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो बबला न घर के होंगे न घाट ही होंगे। कांग्रेस उन्हें वापस लेने से रही। न ही आम आदमी पार्टी उन पर विश्वास करेगी। 

भाजपा मेें भी होगी बगावत

इसके अलावा यदि बबला की पत्नी हरप्रीत कौर बबला को भाजपा की तरफ से मेयर पद का प्रत्याशी बनाया जाता है तो भाजपा के साथ पार्टी और परिवार के वरिष्ठ सदस्यों में भी फूट के आसार पैदा हो सकते हैं। फिर पार्टी अध्यक्ष अरूण सूद की क्या गति होगी सर्व विदित है। इसलिएयह मामला भी इतना आसान नहीं है। इसके बाद भाजपा यदि हरप्रीत कौर बबला को मेयर बनाने से यू टर्न लेती है तो बबला का हश्र भी वही होगा। मतलब यह कि बबला हर तरफ से लूजर होंगे। 

मेयर का ताज  किसके सर

यदि आप और कांग्रेस का गठजोड़ बनता है और कांग्रेस की बात मानी गयी तो कांगे्रस खेमे में सबसे वरिष्ठ और अनुभवी पार्षद गुरबक्श रावत का ही नाम उभरकर सामने आता है। दूसरी महिला पार्षद पहली बार पार्षद बनी हैं, और कांग्रेस हाईकमान भी ऐसा नहीं चाहेगी कि गैर अनुभवी पार्षद को मेयर की सीट का प्रत्याशी बनाया जाये। फिलहाल यह तो अभी अटकलें हैं इस पर ज्यादा मंथन की जरूरत है।